मानव में क्रांति से विश्व में शांति
बज़्म को अपनी इंनायत की रौशनी देकर,
एक एक शख्स का किरदार संवारा उसने|
काफिले इश्को मोहब्बत के चले उसके सबब ,
काफिलों वालों को मंजिल पे उतारा उसने|
हाँ! यही वोह मल्लाह है जिसने
लहर 'ब्रहमज्ञान ' की हर खुदी में दोड़ाई है|
किसी महफ़िल का क्या ज़िक्र करूँ,
आज संसार में सावन की घटा छाई है|
आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
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